Wednesday, July 2, 2008

प्रभात ख़बर को अलविदा

अरुण

अंततह मैंने ३० जून को पिछले आठ सालों से अपनी सेवा को प्रभात ख़बर से समाप्त कर दिया , इस दौरान स्थानीय संपादक श्री दीपक कुमार ने एक नई परम्परा की सुरुवात करते हुवे एक विदाई समारोह का आयोज़न कर मुझे अख़बार का एसेट बताया, परन्तु यह कहाँ तक सच है कौन जाने? पिछले आठ सालों मैं प्रभात ख़बर मैं हुए हलचल को देख akhbar की दुनिया से मन उचट सा गया। अख़बार की दुनिया मेंटिकने के लिए अब काबिल या समाज सेवा का जज्बा होने की जरूरत नही बल्कि पहुँच, पेरवी या फिर आलाकमान तक आपकी पहुँच होनी चाहिए । अख़बार के लिए १८-१८, २०-२० घंटे की आपकी सेवा का कोई मतलब नही रह जाएगा। इसलिए इसको अपना पेशा बनाने वाले पहले आप पहौंच, पेरवी जुटा लें अन्यथा कब आरोपी बना कर निकाल दिए जायेंगे, इसका पता ही नही चलेगा।

Saturday, June 21, 2008

राजनीती का असर है सूचना आयुकत के चयन में

arun
झारखण्ड सरकार ने आज काफी इंतजार के बाद सूचना आयुकत के नाम की घोषणा कर दी, परन्तु इसमें राजनीती का असर देखा गयासूचना कानून को जन-जन तक पहुचने में अहम् भूमीका िनभानेवाले िव्ष्णु राजगिरया को नजर अंदाज कर िदया गयाउनके इस मुकाम तक नहीं जाएं इसमें उनके पुराने दोस्तों ने भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ा हैंप्रभात खबर छोडने के बाद से ही उनके पीछे गुपचुप तरीके से यह prayash िकया जा रहा था िवह इसमें सफल होंइसमें वे सफल भी हो गयेदेखा जाये तो झारखंड में सूचना के िधकार को फैलाने में श्री राजगिरया ने काफी योगदान िदया हैं, उसपर राजनीती तो इफर कैशे लोग कम क्र पायेगा और जनता कया करेगी । एक और जनता के लिए कम करने वाले का मन टूट जाएगा और कोई जनता के लिए आगे नहीं बढेगा .

अखबार को अलवीदा

मैंने १ जुलाई, 08 से अखबार को अलिवदा कहने का मन बनाया है ।